भोपाल : मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधानसभा के मानसरोवर सभागार में “बिछड़े कई बारी बारी” पुस्तक का विमोचन किया। यह पुस्तक क्रूर कोरोना काल में असमय छीन लिये गये प्रदेश के लगभग सौ पत्रकारों के जीवन और उनके पत्रकारिता में योगदान पर आधारित है। मुख्यमंत्री चौहान के मुख्य आतिथ्य में इस कार्यक्रम की अध्यक्षता विधानसभा स्पीकर गिरीश गौतम ने की। आयोजन ग्रामीण पत्रकारिता विकास संस्थान ने किया। कार्यक्रम में नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ, संसदीय कार्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्र, पूर्व केन्द्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया, प्रदेश के पूर्व मंत्री डॉ. गोविन्द सिंह पुस्तक के लेखक देव श्रीमाली और रविंद्र जैन उपस्थिति थे।
मुख्यमंत्री चौहान ने अपने भावपूर्ण संबोधन में कहा कि कोरोना काल में दिवंगत पत्रकारों पर केंद्रित यह पुस्तक, फिर न लिखनी पड़े, ऐसे प्रयास हों। तीसरे लहर की आशंका के मद्देनजर मीडिया जागरूकता प्रसार की भूमिका का पुनः निर्वाह करे। प्रत्येक व्यक्ति को मास्क लगाने के लिए प्रेरित करना है। यह बचाव का प्रभावी माध्यम है। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि कोरोना संक्रमण की पहली और दूसरी लहर के समय हम गहरी वेदना के दौर से गुजर चुके हैं। अस्पताल में बेड, ऑक्सीजन और जीवन रक्षक औषधियों की व्यवस्था के लिए सभी ने दिन-रात कार्य किया। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि मृत्यु अवश्यंभावी है। लेकिन कोई जाता है तो टीस छोड़कर जाता है। कुछ ऐसे व्यक्तित्व होते हैं, जो सदैव याद आते हैं।
मुख्यमंत्री चौहान ने दिवंगत पत्रकारों स्व. शिव अनुराग पटेरिया, राजकुमार केसवानी की सेवाओं का विशेष रूप से उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि केसवानी ने भोपाल गैस त्रासदी के पूर्व सभी को आगह करते हुए लेखन किया। वे अपनी इसरिपोर्ट पर बी.डी. गोयनका अवार्ड मिलने पर प्रसन्न नहीं थे, बल्कि उनका कहना था कि काश यह हादसा न होता, यदि उनके लेख में दी गई चेतावनी को गंभीरता से लिया जाता। इसी तरह पटेरिया मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के इन्सायक्लोपीडिया थे। वे ज्ञान के भंडार थे, एक चलती-फिरती लायब्रेरी थे। ऐसे दिवंगत साथियों के परिवार के साथ हम सभी को हरसंभव सहयोग के लिए तत्पर भी रहना चाहिए। मुख्यमंत्री चौहान ने दिवंगत पत्रकारों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने कहा कि मध्यप्रदेश कोरोना से बचाव के वैक्सीनेशन कार्य में अच्छी सफलता प्राप्त करने वाले प्रदेशों में है। इसमें मीडिया का महत्वपूर्ण योगदान है। तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए मीडिया ने पुन: जागरूकता के प्रयास प्रारंभ किए हैं।